This profile has expired. This Tribute was created by Sri Anand Rasiwasia, Sri Niranjan Rasiwasia, Sri Pradeep Rasiwasia, Sri Anup Rasiwasia. who has not yet renewed membership. Please send reminder Email to Sri Anand Rasiwasia, Sri Niranjan Rasiwasia, Sri Pradeep Rasiwasia, Sri Anup Rasiwasia. to renew this Tribute.
धनपत राय जी जिनको लोग प्यार और आदर से धनपत बाबू के नाम से जानते थे एक बेहद कर्मठ व्यक्ति थे. अपने पूरे जीवन काल मे धनपत बाबू ने अपने मेहनत, लगन और एक अनुसशित जीवनशैली से अपनी एक अलग पहचान बनाई. अपने बेबाक अंदाज़ के लिए परिचित धनपत बाबू ने ज़िंदगी मे कई मकाम हासिल किए. तिनसुकिया के सामाजिक क्षेत्र मे वो एक बेहद आदरणीय व्यक्ति थे. रसीवासिया परिवार के स्तंभ माने जाने वाले श्री धनपत जी ने हमेशा परिवार को एक सूत्र मे बाँधे रखा. उम्र के 90 वर्ष पूरे करने के बाद भी वे परिवार और समाज के हर कार्य मे रूचि रखते और सबसे संबंध बनाए रखते थे. आज की पीढ़ी को उनके जीवनशैली से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. धनपत जी के निधन से परिवार और मारवाड़ी समाज को एक अपूरणिया क्षति हुई है जो कभी पूरी नही हो सकती.
श्री धनपतराय रसीवासिया का जन्म तिनसुकिया निवासी स्वर्गिया ख़ुसीराम जी रसीवासिया एव स्वर्गिया बसंती देवी रसीवासिया के घर 15 जून 1931 को हुआ. उनका बचपन तिनसुकिया मे बिता और अपना पूरा वय्व्साय तिनसुकिया मे ही स्थापित किया. उनका विवहा स्वर्गिया सुमित्रा देवी से हुआ और उनके 4 पुत्र और एक पुत्री हुई. रसीवासिया परिवार के स्तंभ कहे जाने वेल धनपत जी अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ कर गये हैं और तिनसुकिया के सामाजिक इतिहास मे उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा.
** Please help us keep the Message Board clean and respectful. We take online abuse very seriously. Read the TERMS OF USE to avoid having your message deleted.
🙏 भावपूर्ण श्रद्धांजलि 🙏 आदरणीय धनपतरायजी चाचाजी के परलोक गमण का समाचार सुनकर अत्यंत दुख हुआ। परमपिता परमेश्वर से करबद्ध प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को सदग्ती प्रदान कर अपने श्री चरणों में स्थान देने की किर्पा करें और परिवार के सदस्यों को यह गहण वियोग सहन करने की असीम शक्ति प्रदत करें। हमारी हार्दिक संवेदना स्वीकार करें। ॐ शांति शांति शांति🙏 विजय - मधुकर खेमका
Shree Dhanpat Rai ji Rasiwasia of Tinsukia, Assam expired yesterday on 11.7.2.20 at Bangalore. I shall miss him a lot. I came more in contact with him during my stay at Delhi and Bangalore. He was a perfect gentleman, a friend, a guide, a philosopher, a man with unquenching thirst for knowledge and on the top of that एक जिंदादिल इंसान। His loss is a big loss not only for his family, but for everybody whosoever came in contact with him. उन्हें मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। ईश्वर कृपा से वे 90 वर्ष की उम्र में एक जीवंत जीवन जी कर, और एक भरा पूरा परिवार छोड़ कर, गए हैं। आज के संकट काल में अस्पताल और डॉक्टरों के कष्ट से बच गए। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।
SRI ANAND RASIWASIA, SRI NIRANJAN RASIWASIA, SRI PRADEEP RASIWASIA, SRI ANUP RASIWASIA.
(SON OF Shri DHANPAT RAI RASIWASIA)
We seek to promote lively discussion and debate. We believe that our users have the right to express themselves freely in a manner that is courteous and respectful of others' point of view and sensibility.
Repeated violations may lead to suspension and/or termination of your message posting privileges.
www.tributes.in takes abuse very seriously: We will co-operate fully with law enforcement, including disclosure of your user ID, IP address and messaging history.
Please review your message, you cannot delete/edit once it has been posted.
Give a Tribute to someone special and see how your family and friends react - it'll be priceless (trust us)!
Create a Tribute Page
Ranjana Arya (Daughter)
बापूजी नमन! बापूजी आपका मुस्कुराता चेहरा हर वक्त मेरी आंखों के सामने रहता है। आपके तीन शब्द मेरे कानों में गूंजते रहते हैं- फर्स्ट क्लास, हाई क्लास, सुपर क्लास। आपके यह शब्द सुनकर हम भी सुपर क्लास हो जाते थे। आप हमेशा मुझे कहते थे कि प्राची भगवान जैसी बनों। वह अपने काम खुद कर रही है और निस्वार्थ सेवा कर रही है। पहाड़ों पर अकेली रहती है। उस जैसी निडर बनो। बापूजी आपने हमें निस्वार्थ दान करने की प्रेरणा दी। आपने पशुओं के लिए, कैंसर हॉस्पिटल और आर्य समाज के लिए गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए पांच लाख रुपए दान दिए। नमन करती हूं बापूजी मैं आपको। शिक्षा दान सबसे बड़ा दांव है। बापूजी मुझे हरदम कहते थे कि सब घर हवन होना चाहिए। इससे कोशों दूर तक हवा शुद्ध हो जाती है। बहुत चाव से हवन करते थे मेरे साथ। आर्य समाज मंदिर भी मेरे साथ जाते थे। जब भी में निरंजन भैया या अनूप के घर जाती तो कहते हवन का सामान लेकर आना, हवन करेंगे। हवन में उनकी इतनी श्रद्धा ही थी कि उनका अंत्येष्ठि संस्कार एक हवन की तरह हुआ। जैसे ईश्वर उन्हें स्वयं आशीर्वाद दे रहा हो। हमारी बापूजी को सच्ची श्रद्धांजली यही होगी रोज कम से कम 21 गायत्री मंत्रों के साथ हवन करें। अगर हवन कुंड ना हो तो कढ़ाई में ही हवन करें। आम आदि की समिधा में हवन सामग्री और गाय के घी के साथ स्वाहा बोल कर 21 आहुति अवश्य दें। अब तो यह और भी आवश्यक हो गया है। हवा में करोना फैल रहा है। हवन करके है हम हवा को करोना मुक्त कर सकते हैं। बापूजी को शत शत नमन। हम सब को बापूजी के गुणों को अपनाना और सदा प्रसन्न रहना है। श्रद्धांजलि के रूप में एक छोटी सी कविता प्रस्तुत कर रही हूं। 🌹🙏🏻